अनाथालय मे रहने वाले ने IAS परीक्षा को पार किया!

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कैसे अनाथालय मे रहने वाले मुहम्मद अली शिहाब ने IAS परीक्षा को पार किया!

मैं वनपाल, जेल वार्डन और रेलवे टिकट परीक्षक के पदों के लिये रजिस्टर  किया था ,लेकिन सिविल सर्विस मेरा जूनून बन गया, मेरा सपना था आईएएस को पास  करना .

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मुहम्मद अली शिहाब का जन्म केरला के दूरदराज के एक गाव एडावान्नापारा के मलप्पुरम जिले में हुआ था| उन्होने अपना बचपन अपने पिता की मदद करने मे पान के पत्ते बेचने मे और बास की टोकरियाँ बेचने मे एक पान की दुकान मे बिताया| अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्हे एक अनाथालय मे डाल दिया गया था क्योंकि उनकी मा बहुत गरीब थी उनका पालनपोसढ़ करने के लिये| उनको विफल होना पड़ा कक्षा मे जिस से की वो अनाथालय मे प्रवेश ले पाये|

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शिहाब ने अनाथालय मे अच्छा मार्गदर्शन प्राप्त किया| उनकी एक ही  उम्मीद थी  कि वे पढाई मे उत्कृष्ट रहे और अपनी जिन्दगी को आगे ले के जाये| हिंदू  के  द्वारा लिए  गये  एक साक्षात्कार  में  उन्होंने  कहाकि मे अपने छात्रवास मे अपने अपने बिस्तर के अन्दर और तकिये के साथ अल्प रोशिनी मे पढ़ा करता था जिस से की मुझे मेरे बगल वाले बिस्तर पे सोने वाले मेरे मित्रो की नीन्द से परेशानी ना हो| असल मे, मैने अनाथालय के नियमों का भी उलंघन किया था| अनाथालय मे  उन्होने  अपनी   प्राथमिक  शिक्षा  पूरी  की  और दूरस्थ  शिक्षा  के माध्यम  से   इतिहास  में  स्नातक  की  उपाधि प्राप्त की। इंडियन  एक्सप्रेस  को  दिए  गए  एक  साक्षात्कार  के अनुसार शिहाब  ने कहा  कि वह अब तक 21 विभिन्न  सरकारी  एजेंसियों द्वारा आयोजित परीक्षा को मंजूरी दे चुके है।

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मैं वनपाल, जेल वार्डन और रेलवे टिकट परीक्षक के पदों के लिये रजिस्टर  किया था ,लेकिन सिविल सर्विस मेरा जूनून बन गया, मेरा सपना था आईएएस को पास  करना .” जब मैने यूपीएससी परीक्षा में अपनी किस्मत आजमाने का इरादा बनाया,तब अनाथालय ने मेरा हर तरह से समर्थन किया”,शिहाब कहते है| लंबे संघर्ष के बाद, वह यूपीएससी परीक्षा मे, 226 रैंकिंग प्राप्त कर पाये| उनका मानना है कि जमीनी वास्तविकता के बारे मे उनकी समझ लोगो को बेहतर सेवा देने मे उनकी मदद करेगी|

It was the 31-year-old’s third attempt, and he ranks 226th on the list. However, for the boy who spent 10 years in a Muslim orphanage, who wrote his Mains in Malayalam and appeared for the interview with the help of a translator for want of proficiency in English, it is a giant leap.

Read our post on Roman Saini & Govind Jaiswal here and here.

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