व्यक्तिगत वर्णन: IAS परीक्षा पास करने के बाद, कैसी ट्रेनिंग होती हैं?

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परीक्षाओं में सफलता के लिए, स्वामी विवेकानन्द से क्या सीख सकते हैं (13) (1)

हमें कदम बढ़ाना होगा,आगे बढ़ना होगा और अपने काम के तौर तरीको को जबरदस्त जिम्मेदारी और देशभक्ति की भावना के साथ करना होगा | 

By Roman Saini

आपके बच निकलने के बाद और अपना नाम UPSC-CSE के सफल छात्र के प्रतिष्ठित “सूची” में पाने के बाद , आपके पास जुलाई और अगस्त में ढ़ाई महीने ‘हनीमून ’ पीरियड होता है | यह वही समय है जब आप लोकल सेलेब्रिटी की तरह महसूस करते है साथ ही ढेर सारा मीडिया का ध्यान और अपने पूरे परिवार से बहुत सा प्यार पाते हैं | पड़ोसी, शिक्षक यहाँ ताकि कि पुरानी महिला- मित्र आपसे अलग व्यवहार करती है , अब आप जल्द ही एक IAS अधिकारी बनाने वाले हैं |यह अवसरवाद, चापलूसी में एक महत्वपूर्ण सबक है और यह आपको आपकी प्राथमिकताओ को स्थापित करने में मदद करता है |

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जैसे ही सितम्बर आता है और जीवन पूरी तरह से अलग खेल की तरह हो जाता है | यह शुरुआत है ”100 – दिनों के फाउंडेशन कोर्स ” की जो कि दो -साल के प्रशिक्षण का पहला भाग है | फाउंडेशन कोर्स के विभिन्न विषयों से सभी सिविल सेवकों के लिए आम बात है। हमने सबसे महत्वपूर्ण सबक सीखा था कि हम ”अभिजात वर्ग ” नहीं हैं |यह महत्वपूर्ण नौकरशाहों और अन्य अधिकारी को समझना होगा कि दुसरे व्यक्ति चाहे वह सरकारी पदानुक्रम कोई भी स्थान रखता हो , एक इन्सान है और उसके साथ गरिमा और सम्मान के साथ पेश आना है |

इस कोर्स में कानून , प्रबंधन, लेखांकन, इतिहास, राजनीति और अर्थशास्त्र शामिल होता है | हमारे पास गेस्ट स्पीकर्स होते है जो कि टॉप कॉलेज के प्रोफेसर , रिटायर्ड आर्मी जनरल, कम कर रहे या रिटायर सिविल सेवक , यहाँ तक कि लेखक और मीडिया के लोग भी होते थे | हमारे बैच में रघुराम राजन , गोपालकृष्ण गाँधी , शोभा डे, गुरचरण दास, टॉम आल्टर , नचिकेत मोर , तुषार गाँधी , और सुमंत बनर्जी स्पीकर्स थे |

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प्रशिक्षण कार्यक्रम हमारे शारीरिक फिटनेस उपेक्षा नहीं की जाती है और हमारे लिए प्रत्येक सुबह 6 बजे एक अनिवार्य सत्र था | सितम्बर के प्रत्येक शनिवार को, हमलोगो को यात्रा पर ले जाया जाता था जिसमे कि 8 am से 3 pm घूमना और 18 – 22 km तक की चढ़ाई शामिल थी | आप अपने आप को कोश रहे होते है जब आप पहाडियों पर चढाई कर रहे होते है लेकिन प्राकृतिक सुंदरता और उपलब्धि की भावना आपको सबसे अलग ऊंचाई पर पहुँचने का एहसास करवाती है जो कि आपको आपके प्रयासों के बाद मिला है |

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हमलोगों ने केम्पटी फाल्स , बनोग हिल्स( मसूरी का सबसे सुन्दर दृश्य ), लाल टिब्बा हिल्स, जो की अपने खून चूसने वाले जोंक के लिए जाना जाता है का भ्रमण किया | हाँ , आप बिलकुल सही पढ़ रहे है , मैंने अपने आप पर आधा किलो नमक डाला और उसके बाद भी जोंक मुझसे चिपका हुआ था |

हमलोग एक सप्ताह के लिए हिमालय की यात्रा पर भी गए |मेरा ग्रुप उत्तरकाशी गया था |हम घुमे और एक सप्ताह में 90 km की चढाई की , जिन्दा कीड़ो के साथ खाना खाया , जमीन पर सोये , टेंट्स के साथ , 2 दिनों तक 4500 m की ऊंचाई पर रहे | यह शाब्दिक और लाक्षणिक दोनों तरीको से , हमारे कोर्स का सबसे कठिन भाग था |

हमे इस कठिन यात्रा के बाद भी ब्रेक नहीं दिया गया उसके बाद हमे असाइनमेंट्स जमा करने , निबंध , पुस्तक समीक्षा और उसके बाद 22/10/2014 को आने वाले मिड-टर्म परीक्षा में शामिल होना था |

प्रशिक्षण का सबसे गहरा भाग परीक्षा के बाद आया |सभी ट्रेनी को ग्राम -भ्रमण के लिए भेजा गया जहाँ हमें रुकना था और हमें वास्तविक जीवन की व्यावहारिक समस्याओं को देखना था जिसका सामना ग्रामीण अपने रोजमर्रा की जिंदगी में करते हैं |

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हमारा ग्रुप मोरादाबाद के एक गाँव में गया जिसका नाम कदेरपुर था |यह अपेक्षाकृत अच्छी तरह से विकसित, लेकिन काफी संवेदनशील क्षेत्र था। हम सभी उलझन में थे कि हम बिना आधुनिक सुख सुविधा के कैसे रहेंगे | लेकिन , वहां रहना हम सभी के लिए एक आंख खोलने जैसा था |

हमने गाँव के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों , स्कूलों तथा पंचायत का दौरा किया और कामकाज देखा |हम खेतों में गए और वहां फसल पद्धति का निरीक्षण किया |जमीन का प्रत्येक टुकड़ा गन्ना और चावल के फसल से ढका था |

गरीब से गरीब के बीच रहने से , बुनियादी सुविधाओं के लिए उनके दैनिक संघर्ष का अवलोकन, यह वो अनुभव था जिसने हमें एहसास करवाया कि हम यहाँ की क्या करने आये है |

गरीब से गरीब के बीच रहने से , बुनियादी सुविधाओं के लिए उनके दैनिक संघर्ष का अवलोकन, यह वो अनुभव था जिसने हमें एहसास करवाया कि हम यहाँ की क्या करने आये है |यह मुझे 2011 की याद दिलाता है , जब मैं एक मेडिकल स्टूडेंट के तौर पर दयालपुर गाँव गया था , जो कि हमारे देश की राजधानी से 50 km की दुरी पर स्थित है |जहाँ मुझे यह एहसास हुआ कि गरीबो कि समस्या का समाधान दवा से नहीं बल्कि उन्हें उचित नागरिक सुविधाओं और पोषण दे कर किया जा सकता है |इसी अनुभव ने मुझे IAS बनाने पर प्रेरित किया |जिंदगी का चक्र पूरा हुआ |

अंत में, मैं LBSNAA, मसूरी में प्रशिक्षित होने से आपने आप को अलग और सम्मानित महसूस कर रहा था | आपको गर्व की अनुभूति होती है जब आपको महसूस होता है कि सभी वरिष्ठ सिविल सेवकों जिन्होंने सारे बड़े फैसले लिए है , नीतियाँ बनाई, मिसाल कायम किया है और इन्होने भारतीय समाज को काफी प्रभावित किया है , अर्थव्यवस्था और राज्य व्यवस्था में, वर्तमान दिन के आधुनिक भारत की नींव रखी।

यदि यह काफी नहीं था , तो फैक्ट यह है कि हमें कदम बढ़ाना होगा,आगे बढ़ना होगा और अपने काम के तौर तरीको को जबरदस्त जिम्मेदारी और देशभक्ति की भावना के साथ करना होगा |

(यह लेख मूलतः अंग्रेजी में लिखा गया है और योरस्टोरी में छपा था .)

Read our post on Roman Saini, he cleared IAS when only 21, in English or in Hindi

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